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Hymn No. 2240 | Date: 08-Apr-2001
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जिंदगी जीऊँ तेरे अंदाज में, हर पल पियूँ प्यार का घूंट।
जिंदगी जीऊँ तेरे अंदाज में, हर पल पियूँ प्यार का घूंट।
सनम कसम से टूट जाये श्वासों की लडी, पर उतरे न तेरा नशा।
जो ख्वाबो में होता था वो खयालों से उतरके हो जाये साकार।
हर कदम पे हो मस्ती का आलम, जो दिल में हो तसवीर तेरी।
भुलाने को भूल जाऊँ सब कुछ, गुम होके तेरी यादों में।
रह न पाऊँ अपने आप को, तेरे सिवाय जो कोई और न हो।
जुगलबंदी चले गीतों की, तेरे हर वार पे करूं शायरी।
बीच में शरारत भरी छेड़ - छाड़ हो, शरमा जाये गैर भी।
झूठ और बहानों के नये अर्थ गढ जाये, बेमतलब के जो इल्जाम लगे।
तारी रखना तू इतना प्यार के नशें में, मिटा देना मेरे होने का।


- डॉ.संतोष सिंह