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Hymn No. 2237 | Date: 07-Apr-2001
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गुपचुप तुझे प्यार करना चाहूं, तेरी यादों में विसरना चाहूँ।
गुपचुप तुझे प्यार करना चाहूं, तेरी यादों में विसरना चाहूँ।
रहे अंदाज कैंसा भी जिंदगी का, पर तेरे प्यार को बिसरूँ न।
दाग लगे दामन पे कितना भी, परवाह न करू तेरे प्यार के आगे।
प्यार की पीगे बढ़ाता चलूँ पल पल, पलों में सिमट जाये जिंदगी।
बंदगी करने में कोई एतराज नहीं, परे मिले मौका तेरे प्यार से तो।
माना मायने नही है मेरे प्यार की, फिर भी उचटती नजर डाल देना ।
सकून मिल जायेगा दिल को, भले भरम हो मेरे मन का।
मुमकिन न हो हर पल मिलना, तो ख्वाबों ख्यालों में आते रहना।
जो बात सीधे से न कह सकूँ, सुना दू नगमों में ढालके।
आते हो करम पार करके आऊँ तेरे पास, पर रुकने न देना तू कभी।


- डॉ.संतोष सिंह