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Hymn No. 2228 | Date: 23-Mar-2001
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प्रभु तेरी बगियाँ में खिले है फूल बहुतेरे तरह तरह के।
प्रभु तेरी बगियाँ में खिले है फूल बहुतेरे तरह तरह के।
कोई रहता है गुमसुम, तो कोई मारे किलकारी, तू कुछ है नटखट।
पर एक बात है सबमें, सबके सब है भोले भोले मस्ती से भरे।
अनजाने में ये सब बयाँ करते है अंदाज तेरे, चुराते हुए दिल को सबके।
कब क्या कर बैठे कौन जाने, शरारत से भरे रहते है नयन इनके।
रमे रहते है अपने आप में, बरबस खींच लेंते है सबके मन को।
आदत नहीं किसीको हैरान करने की, कोई होता है परेशां तो ये क्या करें।
बात करते है इतनी भोंली, उड़ेल के रख देते है अपने दिल की झोली को।
होते नहीं किसी एक के, ये तो समझते है सबको अपना।
कितने अंदाज में किया व्यक्त तूने अपने आपको, समझतें है थोड़े से लोग।


- डॉ.संतोष सिंह