VIEW HYMN

Hymn No. 2227 | Date: 22-Mar-2001
Text Size
खामोशी से इंतजार था तेरे आने का, सरगर्मी मची थी दिल में।
खामोशी से इंतजार था तेरे आने का, सरगर्मी मची थी दिल में।

मची अपने बातो कहने के जल्दी में, तैयार न था सुनने को बातें दिल की तेरी।

बातें मुलाकात के भरे पलों में भर रहा था ठंड़ी श्वास, दास कैसे पहुँच गया पास तेरे।

बयाँ करना मुश्किल है, क्या बीतता है दिल पे मुलाकात से भरे पैरों में।

हर लम्हाँ खुशगवार लगता है, जब तू साथ होता है।

पलो में गुजरता है समय, जो जिंदा रहने का अहसास भी नहीं होता।

अपने पराये लगते है कुछ अजीब जो झांकती है नजरों से गरीबी उनके।

सजदा करता हूँ अपने यार का, नजरे बचाके अहसास करता हूँ प्यार का।

सहजता से बयां होती है बातें दिल की, अचकचा जाता है मौन भी।

मस्ती आती है अकेले में, जो अहसास उसका मिटा जाता है अपने होने का।


- डॉ.संतोष सिंह