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Hymn No. 2226 | Date: 22-Mar-2001
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बंद कर दिया तेरा खाना तेरा पीना कर्मों के चलते अपने।
बंद कर दिया तेरा खाना तेरा पीना कर्मों के चलते अपने।
हाय रे तनिक भी न शरमाया कैसे जीता होगा तू जिंदगी।
सोच सोचके गम खाता रहा, कैसे हालत होने दिया रे ऐसी।
मांगता हूँ कुछ आज, करना न तू चाहे हो जाये कुछ।
दे दे तेरी दुर्दशाओं का अंजाम मुझको, चाहे कुछ भी करके।
कसम से रखना विश्वास तू, न रोऊंगा - रोना कभी आगे तेरे।
गुजारूंगा बंदगी करते, मुस्कराके तेरी मेहरबानीयों के गीत गाते।
सुनाऊंगा अपनी बेवफाई के किस्से, कैसे किया परेशान तुझको।
लोग लेगे सीख, करेगा न कोई प्यार में ऐसी दिठाई।
मेरी कमियों का सिला मिलना चाहे मुझको, हैरान न होना तू।


- डॉ.संतोष सिंह