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Hymn No. 2225 | Date: 22-Mar-2001
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लुटाता है वो प्यार को इतनें विश्वास से, आज नहीं तो कल कर जाऊँगा कहा हुआ उसका।
लुटाता है वो प्यार को इतनें विश्वास से, आज नहीं तो कल कर जाऊँगा कहा हुआ उसका।
असंभव को संभव को कर जाऊँगा अथक प्रयास से, कृपा है जो उसकी अपने साथ में।
जो बात समझ में आती नही समझ जाऊँगा चुटकी बजाते, होगा जो मन अपना एकाग्र उसमें।
अनचाहे सपनों से पा लूंगा निजात, दृढ़ता के कारण जो न होगी कोई इच्छा दिल में।
चित्त जो रमा रहेगा प्रभु प्रेम में, जीवन की सारी समस्याओं का हल करूंगा बिना कोई परेशानी के।
निशानी प्रेम की जो छुपी होगी आखों में, अस्थिर संसार में वो तो स्थिर रहेगा अपने यार पे।
अनिश्चितताओं से भरे जीवन डगर पे चलूंगा मुस्कूराते हौले हौले जो थिरा रहूंगा यादों से उसको।
अंजामे मोंहब्बत का ईनाम जो भी होगा, शरमा जायेगी मेरे अंदर के संकेत देखके।
बिछाया हूँ पलकें राह में उसके, चलते चलते मुलाकात को बदल दूंगा मिलन में।
श्वासों की डोर से बंधा न है जीवन मेरा, जिंदा हूँ अपने माशूक के संसार में जाने के वास्ते।


- डॉ.संतोष सिंह