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Hymn No. 2222 | Date: 19-Mar-2001
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प्रभु तू और तेरा प्यार बड़ा है जालिम।
प्रभु तू और तेरा प्यार बड़ा है जालिम।
इक् और वास्ता दे प्यार का, इल्जाम लगाये बेवफाई का।
मुरव्वत ना रखे तड़पाने में, कोई और कसर न छोड़े।
जीना होता है मुहाल पर मिलती नहीं मौत मांगने पे।
सुकून की बात छोड़, हर पल लूटता है सरेआम।
मोहब्बत का नाम देके, मत पूछो क्या नहीं करता साथ हमारे।
हाल देखके हमारा बेगाने को छोड़ो अपने भी मुख मोड़ है लेते।
किसी और को दूं कैसे इल्जाम, जब खुद को दिया तेरे नाम।
अगर गलती है तो भी दोहराऊँगा ये गलती को बार बार।
होता रहे चाहे कुछ रहूंगा ताउम्र तेरे प्यार के नशें में।
दशा जो भी हो दुर्दशा तो न होगी तेरे प्यार में हमारी।


- डॉ.संतोष सिंह