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Hymn No. 2220 | Date: 19-Mar-2001
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अभी तक तो ऐसा होना बाकी है, साकी तेरे पूरे प्यार को पीना बाकी है।
अभी तक तो ऐसा होना बाकी है, साकी तेरे पूरे प्यार को पीना बाकी है।
नाही ना की तूने पिलाने में, पीते पीते छलक गया जो जाम लबो से मेरे।
हमने तो ठानी थी होने को चूर, पर सुरूर जाता रहा इंतजारी भरे दौर में।
बेंवफाई का चस्पा जो लगा वो तो था कबूल, पर तेरी रूसवाई सही नहीं जाये हमसे।
सिला मिलें जो भी मेरे नाम को, पर रखना विश्वास पिया है हाथों से जाम होने न दूंगा बदनाम।
दर्द का रिश्ता है जनमों जनम पुरानां, पर तेरे सामने दूंगा जवाब मुस्कुराते हुये।
गुरेज न है तेरी दी हुयी सजा से, अरे तेरी रजा में गुम कर दूँ श्वास अपनी।
बहुत से बदतर हालात से निकल के आऊँगा, प्रेम भरे रिश्ते को निभाने के वास्ते।
दाग होगे कितने भी दामन पे, पर पड़ने न देगे छीटे तनिक भी तुझपे।
साकी पिलाते रहना प्यार का जाम, मुश्किलातों से भरे दौर में हंसते हुये गुजर जायेगे।


- डॉ.संतोष सिंह