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Hymn No. 2219 | Date: 18-Mar-2001
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दर्द दिल में है, बेचैन मन, कोई कह ले कितना भी कुछ यारो मारा हूँ प्यार का।
दर्द दिल में है, बेचैन मन, कोई कह ले कितना भी कुछ यारो मारा हूँ प्यार का।
इल्जाम भी लगाया, बेमुरव्वत होके दी सजा, सनम ने साथ रहके पलक भर न देखा।
गैरों को तो सह लूंगा, पर अपनो की बेरुखी के आगे दम तोड़ दूंगा।
माना जीना मेरे हाथों में नहीं, तो तेरा नाम लेके दे दूंगा जाँ अपनी।
अगर चार चांद न लगा सका तो करने न दूंगा इल्जाम तेरे नाम पे।
कोई सौदागर नहीं जा निकला हूँ, अपने प्यार का करने सौदा, मैं मोहब्बत का पैगान देने आया हूँ।
गुल कोई क्या खिलायेगा, जब मेरी भूल करे मजबूर कोई नया गुल खिलाने को।
होगे बहुत तेरे प्रेमी पर कोई मुझसा नहीं, चाहे बेशर्मी मेरी करे सबसे अलग।
अजीब है प्यार जितना आना चाहूँ करीब तेरे उतना दूर चला जाऊँ।
दोष किस्मत को दूं या अपने करम को जिसे निभाना चाहते हूए निभा न पाऊँ।


- डॉ.संतोष सिंह