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Hymn No. 2218 | Date: 18-Mar-2001
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ऐसी कौन सी बात है जो तुझे प्यार करने से रोके हमें।
ऐसी कौन सी बात है जो तुझे प्यार करने से रोके हमें।
ऐसी कौन सी बात है जो लगती है नागवार तुझको हमसे।
हमने तो ना चुराया नजरों को, तो क्यूँ तू चुराने लगा नजरों को तेरी।
कमियाँ तो होती नहीं गल्तियाँ, जो तुझे दूर कर दे हमसे।
हमने तो चाहा भुलाना सब कुछ प्यार में तेरे, इससे उलट तू दूर क्यूँ भागे हमसे।
गुस्ताखी माफ पर बंदा करता है तेरी महफिल में अकेले होने का।
ओ। देखे थे ख्वाब तेरे साथ सुबहो शाम शरारत भरी छेड़ छाड़ करने का।
रह जाता है मन मसोस के, जितना आना चाहूँ पास उतना दूर हो जाता हूँ।
रंज है जितना खुद से, उतना किसी और से नही ओ मेरे दिलबर।
हममें तो न है इतना हौसला, कि पूंछूँ तुझसे क्यूं करता है तू ऐसा।


- डॉ.संतोष सिंह