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Hymn No. 2215 | Date: 14-Mar-2001
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दे दे पीड़ा प्रभु तेरे प्रेम की, तड़पूं जैसे रेगिस्तान में मृग भागते फिरे पानी के पीछे दे दे।
दे दे पीड़ा प्रभु तेरे प्रेम की, तड़पूं जैसे रेगिस्तान में मृग भागते फिरे पानी के पीछे दे दे।
आग लगे मोरे तन मन में, गुजर न पाये पल भी, दे दे पीड़ा प्रभु...
चैन न आये दिल को, नैन भटके बैचेन होके, दे दे पीड़ा प्रभु...
गुजरने को गुजरे रात दिन, पर बिन् तड़पाये बीते न कोई पल दे दे...
छीन जाये मेरा सब कुछ, छीनना न तू पीड़ा प्रेम की दे दे...
सुख न है कबूल अगर जो याद ना दिलाये तेरी दे दे पीड़ा प्रभु तेरे प्रेम की।
प्यार को कैसे जानूँगा तेरे, जो पीड़ा न होगी विरह की दे दे...
प्रेम गीत गाने से पहले, गाना चाहता हूँ गीत दर्द के दे दे...
तिल तिलके तड़पू, बढाते जाना पल पल तड़प तू मेरी दे दे...
पीड़ा से पीड़ा ना दू तुझको कभी, सहेजना चाहूँ तेरे प्रेम को दे दे...


- डॉ.संतोष सिंह