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Hymn No. 2208 | Date: 08-Mar-2001
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बरसों बरस बाद आयी री होली, रंगो की बौछार लेके जीवन में।
बरसों बरस बाद आयी री होली, रंगो की बौछार लेके जीवन में।
न जाने कब से बाट जोहते तरसते मन को मिला रे तेरा साथ, बरसो...होती है।
छायी दिल पे मस्ती वसंत बहार की, साकार हुये कई ख्वाब, बरसों... होती है।
गुले गुलजार हुआ रूठा मन, जो पलक पावड़ी बिछाये थे इंतजार में, बरसों ...
चमक उठे नैन जो छायी तेरे प्यार की रैन, बरसो... बौछार लेके।
उमगो की हुयी झंकार रोम रोम में मेरे मिलते ही तुझसे, बरसो... बौछार लेके जीवन में।
मन हो उठा भाव विन्मोर झड़ी लग गयी खुशियों के आसुओं की बरसो... बौछार लेके जीवन में।
हर्षो उल्लास में डुबा जीवन परम प्रेम की फुहार पड़ते बरसों बरस बाद आयी री होली रंगो की।
क्या तू, क्या मैं मिट गया सारा भेद, जो तरबतर हुये प्रेम रंग में बरसो...
गुंज उठा गीत दिल से अनहद नाद में से सुर मिलाते बरसो बरस बाद आयी री होली
प्यासे को जो दो बूंद मिली तेरे प्यार की और भड़का गयी बरसो
बैरंग जीवन में समरसता का रंग भरने आया रे सजन बरसों बाद...


- डॉ.संतोष सिंह