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Hymn No. 2206 | Date: 07-Mar-2001
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इक् दिन नहीं, दो दिन नहीं हो जाना है तेरा सब दिन को।
इक् दिन नहीं, दो दिन नहीं हो जाना है तेरा सब दिन को।
बहुत खेला खेल मिलके बिछुडने का, अब न होगा मिलन के बाद मिलने का।
गलती थी मेरी जो मौका दिया सुसुत्प कामनाओं को।
अब तो रहूंगा हर पल सजग, ख्वाब भी न आये तेरे सिवाय कोई।
रोना धोना बहुत मचाया, अब न आने दूंगा पारी रहूंगा प्यार में तेरे तारी।
इल्जाम लगाने का मौका तो हमने दिया, अब ढूंढूँगा कोई और बहाना।
न देना है कहने का मौका किसीको, बस जाना है ख्यालों में तेरे।
देर का अंधेरा बिखरने दिया हमने, इसमें कहाँ कसूर किसका।
रजा दूंगा ना किसी बहाने को, चाहे हो जाये कुछ भी हमारे संग।
पायी तेरी संगत तेरी अप्ररम्पार कृपा से, बिना रंगे छोडूंगा ना दामन तेरा।


- डॉ.संतोष सिंह