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Hymn No. 2205 | Date: 07-Mar-2001
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जिनको समझा था अपना करीबी, उन्होंने दिल को कुचला बड़ी बेंतरबीसे।
जिनको समझा था अपना करीबी, उन्होंने दिल को कुचला बड़ी बेंतरबीसे।
प्यार तब भी करते थे अब भी करते है, पर देखके दिल सहम जाता है उनको।
माना कमी हममे थी न उनमे, पर क्या होता है हाल ऐसा बेगानो का।
हम तो आये थे आस लेके कहलायेगे तेरे, पर मंजूर था किस्मत को कुछ और।
मौका तो हमने दिया था, दोष कैसे दूँ तुझको बेखबर जो रहा अपने में।
हमें क्या मालूम था दोयम् दर्जे का प्यार प्यार कभी कहलाता नहीं।
सपने देखे थे हजार, जीवत करना आया नहीं, तो कैसे कहूं था तेरा प्यार।
यार अपना बनाने चला था, गौर न किया, दूसरा पहलू नाकाबिलियत का।
न बहुत बार पर एकाध् बार चाहा होगा गले लगाना तो हमको, पर आदत तो थी मौका गंवाने की।


- डॉ.संतोष सिंह