VIEW HYMN

Hymn No. 21 | Date: 26-Jul-1996
Text Size
ना मिला तो क्या गम है मिल भी गया तो क्या खुशी ।
ना मिला तो क्या गम है मिल भी गया तो क्या खुशी ।
दुनिया तो आनी जानी है सके ना रूक सका कोई ।
मानव तन मेरी यहीं कहानी, आ फँसा कहाँ से तू ।
इस तन मन के चक्कर में; भटके भूले, आना – जान ।
तोड़ दे इस बंधन को, अंतर के मौन को सुन ले ।
करता जो सदा गुहार, लौट आ अपने धाम को ।
तेरे लिए भी वो तडपत है, छोड़ दे इस कारण को ।
बस जायेगा तू भी कण – कण में, आगे क्या कहूँ ।
सुन ले तेरे अंतरमना से ।


- डॉ.संतोष सिंह