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Hymn No. 22 | Date: 26-Jul-1996
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आज नहीं तो कल होगी मुलाकात तुझसे ।
आज नहीं तो कल होगी मुलाकात तुझसे ।
हाले दिल सुनाऊँगा तेरे बिन क्या बीती मुझपे ।
नैन जोहे बाट तेरी लब प्यासे, गाने को गीत तेरे ।
मन भरमाया – तन मुरझाया जब खोया मैंने तुझको ।
जीवन और मरण के इस चक्कर में ।
माया न मिली न राम मिला धोबी का कुत्ता गया में बन ।
जीने को मजबूर हुआ, काया का गया दास मैं बन ।
कैसे रखूँ आस तुझसे, इच्छाओं की खायी में मैं कूदा ।
इस भीड़ में मैं तुझको भूला, किया था जो लाख जतन ।
वह हाथ से छूटा, अच्छे बुरे का भेद कर ना सका मैं ।
खुद को मैंने खुद से लूट डाला ........
कामनाओं ने कुकर्म करवा .......
फिर भी रखता हूँ आस,
काश नहीं, जरूर होगी मुलाकात तुझसे ।
अपने परम् प्रिय गुरू को सादर नमन् करते हुए आज के
परम् शुभ दिवस पर (गुरु – पूर्णिमा) टूटी – फूटी भाषा में
यह टुकडा अर्पित करता हूँ –


- डॉ.संतोष सिंह