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Hymn No. 2033 | Date: 13-Oct-2000
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जला दे दीप प्यार का दिल में मेरे, इसे न कभी बुझने देना।
जला दे दीप प्यार का दिल में मेरे, इसे न कभी बुझने देना।
आलोकित करे मेरे विश्वास को, पल पल बढाते जाये समर्पण को।
दृड़ता से कदम दर कदम बढ़ता रहूँ और तेरे, बुझने न देना तूफाँ में।
पैठ हो इसकी इतनी गहरी, श्रध्दा लपलपाये न चाहे आये दौर कैसा भी।
जब तक जले अखंडित बनके, समय आने पे पुंज, बनके समा जाये तुझमे।
अक्षुण्ण रहे प्रकाश इसका, करीब जो भी आये हो जाये वो आलोकित।
निरंतर एकसा रहे, तम से भरी अंधियारी राह में छोडूं न साथ तेरा।
दमकता हुआ बिखेरता रहूँ अपने प्यार भरे जलवे को चारों ओर।
खुद के दामन में रखूं जलन लपेटके, पर फैले चारों और उज्ज्वल निर्मल किरण।
अंतर ये भी हो शांत निस्तब्धता, कर्मों की छांव न आये दिल पे कभी।


- डॉ.संतोष सिंह