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Hymn No. 2032 | Date: 12-Oct-2000
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मां बना दे तेरा अबोध पुत्र इक् बार फिर से।
मां बना दे तेरा अबोध पुत्र इक् बार फिर से।
तड़प रहा हूँ इक बार फिर से तेरा प्यार पाने को।
लौटना चाहता हूँ तेरी गोद में सब कुछ भुलाके।
हो जाये चाहे कुछ छोडूं न आँचल फिरूँ पीछे पीछे तेरे।
तेरे आंगन को गुंजा देना चाहता हूँ किलाकारी से अपनी।
मां इक शब्द कहके तड़पा देना चाहता हूँ तुझको।
विधी रिध्दी के द्वारा पूजा न करके, पूजूँ मैं आँख मिचौली खेलके।
तोड़ दे तू मेरे सारे बंधन को साध सकू मैं अपने भावों को।
निर्मोही तू तो नथी, मोंही मैं ही था मायावी जगत का।
अब खरे दिल से लौटना चाहता हूँ पास तेरे लौटा ले चल तू मुझे।


- डॉ.संतोष सिंह