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Hymn No. 2031 | Date: 12-Oct-2000
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मत पूछ क्या न होता, है मेरे साथ, जब तू पास न होता है।
मत पूछ क्या न होता, है मेरे साथ, जब तू पास न होता है।
दुनिया भरके सारे रसों का करता हूँ पान, फिर भी बुझती नही प्यास।
तूने लाख समझायी सरस बातें, फिर भी कस्म नहीं टूटा मन का मेरे।
कब तक चलता रहेगा खेल माया का, जो मिलाके करती है मजबूर बिछुडने को।
ऐ मेरे हजूर कसके लपेट ले दामन में अपने लगे न हवा जमाने की।
बहुत रह लिया दूर तुझसे, अब न रहा तुझसे ज्यादा कुछ जरूरी मुझे।
कहना – सुनना तो चलता रहेगा, पर अब तो बना ले अपनो तू मुझे।
मेरी सोच है अगर छोटी, तो तेरे, अति विशाल हृद्य से मिलते हो जायेगी बड़ी।
मस्ती की लहरों में बहना चाहता हूँ होके निर्द्वंद्व तेरे संग।
जीवन में हो किसी भी तरह का राग, पर मैं बना रहूँ बैरागी।


- डॉ.संतोष सिंह