VIEW HYMN

Hymn No. 2030 | Date: 11-Oct-2000
Text Size
आज चुप है तू तो क्या से, इक् दिन बोलना पड़ेगा हमारे आगे तुझको।
आज चुप है तू तो क्या से, इक् दिन बोलना पड़ेगा हमारे आगे तुझको।
आज लगता होगा नागवार साथ हमारा, एक दिन रहना होगा साथ – साथ।
फर्क होगा लाख चाहे तेरे मेरे बीच, इक् दिन पहचानना होगा मुश्किल कौन है क्या।
खेल चलता रहा होगा जनम दर जनम, पर खेलने के परिणाम को अब न भोगेगा कोई।
कितना भी होगा हमसे तू दूर, पर तेरे सिवाय न हो सकता कोई हमारा हजूर।
जिस राज को तू आज है जानता, उस राज को जान लेंगे अब हम तुझसे।
मोहब्बत इक् तरफा रही होगी जरूर, पर आग लगेगी अब इक सी दोनों ओर।
प्यार बन चुकी है मजबूरी हमारी, जो कर देगी खत्म दिलों की दूरी को।
संदेह जन्म लेते है लाख तो क्या, ये तो फूट जाते है प्यार में बुलबुलों की तरह
अक्षुण्ण होगा प्यार हमारा, हममें से कोई न बच पायेगा इसके लपेटे से।


- डॉ.संतोष सिंह