VIEW HYMN

Hymn No. 2029 | Date: 11-Oct-2000
Text Size
तरस रहा हूँ तेरे पास रहके, न जाने क्या तुझसे पाना चाहता हूँ।
तरस रहा हूँ तेरे पास रहके, न जाने क्या तुझसे पाना चाहता हूँ।
कई बार किया दिल का हाल बयाँ, पर बात पूरी कर न पाया।
साये को भी साथ छोड़ते देखा, पर तेरे बिना अपनी श्वास को अटकते देखा।
आग लगी है दिल में, दिलबर तेरे रहते बुझाने न आया हमको।
कब तक चलेगा प्यार का ये खेल, हर दम भरना पड़ेगी आह हमको।
चैन नहीं है मन को, मनमानी करके चैन का श्वास लेता हूँ तेरे पास आके।
इलाज कराने आया था, पर हो गया लाईलाज जो दवा से दर्द पा बैठा।
ढालना चाहता हूँ अपने हर शब्द को, तेरे कीर्तन में, करूं नृत्य खोके तुझमे।
बंद हो जाये खेल आशाओं, निराशाओं का, बांध ले तू प्रेमपाश में अपने।
मान बैठा हूँ तेरी बात न है दिल अपने पास, पर प्यार के सपने देखने से रोक नहीं।


- डॉ.संतोष सिंह