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Hymn No. 2027 | Date: 08-Oct-2000
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छेंतरी जाय छे मारा हइया ने तारी आ बेरूखी।
छेंतरी जाय छे मारा हइया ने तारी आ बेरूखी।
रडाई जाय छे तारी केटलीक वातो माने मारा मन मा।
कबूलात करूं छू – छे हजी सुधी अनेकोनेक कमियों।
तारो प्रहार छे जरूरी मारा माटे, पण करतो जा थोड़ा प्यार।
काबलीयत तू ना देख मारी, आजीवन मऊयो छुँ तारा थी।
अचूको न बादलो मा अस्पष्ट थई जाये छे तारी तस्वीर।
त्यारे कचोटी उठे छे ह्या, कईक ना छूटयो साथ तारो।
बेकाम थई ने ईजहार करवा मांगु छू हुं मारा प्रेम ने।
जे रोक छे तेने मटावी ने मळवा मांगु छुं तारा प्रेम मां।
जें करवो छे काज तारा थवा माटे करीश हुं आज जोईश न राह।


- डॉ.संतोष सिंह