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Hymn No. 2025 | Date: 07-Oct-2000
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तेरी कृपा तो सबपे है उसको भुनाना आये सबको नहीं।
तेरी कृपा तो सबपे है उसको भुनाना आये सबको नहीं।
कोई करे पुरूषार्थ के सहारे, तो कोई करे भाग्य के हवाले।
तोड़ न पाये कोई इसे, मिलती जब तक प्रभु की कृपा नहीं।
बिद्दीयों के आगे तू झुकता नहीं, भाव वालो से कभी रूठता नही।
दिलो से जिन्होंने तुझसे नाता जोड़ा, तोड़ता है दुनिया के सारे नियम उनके वास्ते।
रास्ते हो कितना भी दुरूह, कर देता है तू निष्कंटक पल भर में।
लगाये तुझपे कोई कितना भी तोहमत, सुनके कर देता अनसुना।
स्वीकार लेता है तू सब कुछ, देने वाले की नियत तू है देखता।
हाथ कंगन को आरसी क्या, बड़े से बड़ा पारखी परचा न सकता तुझे।
जिसने जो चाहा तुझसे, देर – सबेर बिन दिये तू न कभी चूकता।


- डॉ.संतोष सिंह