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Hymn No. 2023 | Date: 05-Oct-2000
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सींचना तू मेरे प्यार को अपने प्यार से, मुरझाने न देना कभी।
सींचना तू मेरे प्यार को अपने प्यार से, मुरझाने न देना कभी।
दिल में जलाये रखना ज्योत ज्ञानं की, अपने ज्ञान से, बहने न देना कभी अज्ञान में।
मन में है विश्वास देना तू खूशक परम् विश्वास में से, टूटने न देना तू कभी।
श्रध्दा का हो बोल – बाला, रहना तू जमे रोम – रोम मे मेरे, जन्मने न पाये अश्रध्दा कभी।
तेरे प्यार में निखरता रहूँ रवि की तरह तेरी कृपा से, तम की बदली ढक न पाये मुझे।
तू करना इतनी गहरी पैठ मुझमें, डिगा न पाये इस अबूझ मार्ग से कोई भी इस संसार में।
गम आये कितना भी जीवन में न मिटे मुस्कराहट मुख पे से अनहोनी आये चाहे हजारों बार।
हर श्वास पे उठते रहे कदम और तेरे जोर लगाये कोई कितना भी दूर न होऊँ कभी मैं तुझसे।
हर पल मनाऊँ मौज तेरे संग थिरक अनायास कही कभी भी ना जोहूं बाट सावन के आने की।
बदलने के लिये न कहता हूँ कुछ, साहस से सहूँ सहते हुये खोया रहूँ प्यार में तेरे।


- डॉ.संतोष सिंह