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Hymn No. 2022 | Date: 06-Oct-2000
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ऐसी न है मोहब्बत की रस्म निभाना तू ही जाने।
ऐसी न है मोहब्बत की रस्म निभाना तू ही जाने।
गोया हम भी कम नहीं, उस्ताद् है जो तू हमारा।
माना तेरे हाथों से बनाये जाम का मजा कुछ और ही है।
पर तुझे और मजा आता है पिलाने में, जब हम होते है सामने।
नजरों से नशा बरसाना आदत है तेरी सदियों पुरानी।
सलाम बजाता हूँ पर प्यार में तड़पते रहना आदत है हमारी पुरानी।
लाख कहर सहेके अपनी गोद में रखके संवारा है तूने हमको।
भटका हुआ हूं कई बार, पर गुरेज न किया कभी तुझसे।
तू है परम् तू दे सकता है हर कार्य अंजाम अद्वितीय तरीके से।
पर हम भी होके तेरे प्यार में विभोर कर बैठते है कुछ भी।


- डॉ.संतोष सिंह