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Hymn No. 2013 | Date: 03-Oct-2000
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ढंग मेरा न है बहुत अच्छा, जो तू रंग दे प्यार के रंग में।
ढंग मेरा न है बहुत अच्छा, जो तू रंग दे प्यार के रंग में।
कब तक चलेगा बता तू ऐसा, कैसे करूंगा प्यार जी भरके तुझसे।
लाख समझाया तूने समझके करना न आया कहा तेरा।
अवमानना कर दी जानके, फिर भी इस कनीज़ पे लुटाया प्यार तूने।
सितमगर तो था तू सितम ढाया हमने, फिर भी पिलाया जाम प्यार का।
जीते थे यूं ही, जीवन को बदल डाला मकसद से भरे अंजाम में।
अश्क भी रूठे हुये थे हमसे, अश्कों की कीमत बतायी तूने।
हर बार कुछ ना कुछ दिया, तूने बिन् कहे बदल डाला जिंदगी।
सलाम बजाता हूँ यार को और तेरे प्यार को भी करता हूँ सलाम।


- डॉ.संतोष सिंह