VIEW HYMN

Hymn No. 2012 | Date: 03-Oct-2000
Text Size
दिल का हाल है कुछ ऐसा, कहा नहीं जाता।
दिल का हाल है कुछ ऐसा, कहा नहीं जाता।
बहुत कुछ है बंद सीने में, सहा नहीं जाता।
जो बात कर नहीं पाता क्या, क्या कर जाती है नजर।
मत ढोंग कर न जानने का, जानके तू सब कुछ।
खाई नहीं कोई कसम, फिर भी निभाऊँगा रस्मे प्यार की।
लाख कमियाँ है तो क्या, छुपाने की न कोशिश की कभी।
कद्र करवाने की न है कोई चाहत, पिटे भद्द कितनी भी।
हर हदों को तोड़ देना चाहता हूँ, तेरे प्यार के वास्ते।
बहुत बरगला लिया, अब तो न, आनेवाला हूँ साँस मे तेरे।
लाख ढादे सितम, दिल लगाने से न आऊँगा बाज मैं।


- डॉ.संतोष सिंह