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Hymn No. 2011 | Date: 03-Oct-2000
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निहारता हूँ गुपचुप तुझे, दिल में भरे प्यार को निखारने के वास्ते।
निहारता हूँ गुपचुप तुझे, दिल में भरे प्यार को निखारने के वास्ते।
डरता हूँ कई बातों से, पर मौका पड़ते जोड़ लेता हूँ तेरी यादों से।
देखा जाये तो न है कुछ पास अपने, फिर भी देख लेता हूँ तेरे सपने।
तेरा – मेरा कोई मेल नहीं, एक छोर पे है तू दूजे छोर पे भटकता हूँ मैं।
मेरे पास है ईच्छाओं की फेहरिस्त लंबी, उसमें सबसे ऊपर है तू।
प्रयास कई बार किया, भटका तुझे लेके गढ़े गये कयासों में है तू।
सींच दे दिल को मेरे प्रेम से तेरे, बह जाऊँ प्रीत के ज्वार में।
जब – जब छेडूंगा गीत तेरे प्यार के, तक्षंण तुझे आना होगा पास मेरे।
जोर जबरदस्ती किया न आज तक किसीपे, मैं तो बुलाऊँगा तुझे दीन बनके।
तेरी मर्जी में जो आये छीन लेना मुझसे, पर मुझको – मुझसे पहले छीनना।


- डॉ.संतोष सिंह