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Hymn No. 2004 | Date: 29-Sep-2000
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ख्वाब को ख्वाब ना रहने देना, बदलना हकीकत में तू उसे।
ख्वाब को ख्वाब ना रहने देना, बदलना हकीकत में तू उसे।
देखा हूँ करीब आके तेरे, छाप पड़ी है न जाने कितने जन्मों पुरानी।
झुठलाना इसे आसान न है, दास्ताँ बनके फिजा में है कायम ।
पड़ते है जब जब वक्त के थपेड़े, उकेर जाती है यादों में तसवीर तेरी।
झूठा हूंगा मैं बहुत बड़ा, पर तू तो है प्रियतम त्रिकाल स्वामी।
जो घट के घट में है छुपा, उस दास्तां को बदलना है नामुमिकिन।
किये घरे का दोष है, अगर मेरा सर पे तो था हाथ तेरा।
आज रोकता है तो रोक लिया होता उस समय, तो गुम ना हुआ होता समय के पन्नों में।
इशारा ना है और तेरे, पर गंवारा कर नहीं पाता हूँ तेरे बिना।
पता नहीं वो कौन सी पीड़ा रहती है सालती जो न आने देती है पास तेरे जो न जाने देती है दूर।


- डॉ.संतोष सिंह