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Hymn No. 2005 | Date: 30-Sep-2000
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कंपकंपाते हाथें से लिख लेने दे गीत तेरे।
कंपकंपाते हाथें से लिख लेने दे गीत तेरे।
लरजते लबों से गा लेने दे गीत तेरे।
रोक लेना तू अपने पास किसी न किसी बहाने से।
तिरछी नजरियो से कनखियों से करता रहूँ दीदार तेरा।
प्यार में हो जाने दे बेखबर हमको एकदम से।
अदायें हो मेरी इतनीं प्यारी जो छूं ले तेरे दिल को।
करता चला जाऊँ कहाँ तेरा करने में ना हों होश अपना।
जो देख थे सपने लेकें तुझे, बदल दे तू हकीकत में।
नसीहतों से काम ना चलेगा, करना सिखा दें अब तू मुझे।
इकबाल करता हूँ तेरे प्यार का, ला दें तू इनकलाब मुझमें।


- डॉ.संतोष सिंह