VIEW HYMN

Hymn No. 2000 | Date: 27-Sep-2000
Text Size
कहने निकलता हूँ कुछ भी तुझसे, मेरा दिल पूछे झूठ ना कहना कुछ भी तू।
कहने निकलता हूँ कुछ भी तुझसे, मेरा दिल पूछे झूठ ना कहना कुछ भी तू।
कुछ भी करके बजा तू उसकी मर्जी, मिलेगी आहट तुझको दिल पे उसकी।
पीछे न हटा है यारों के प्यार को अंजाम देंने से, पर न खींचना कदमों को तू पीछे कभी।
अभी तो शुरूआत है, देखना तू तेरा हाल जब प्यार सर पे चढकें बोलेगा।
तोलें तौला जाता नहीं, यहाँ तो सरेआम दिल को पड़ता है खोलना।
लगते है हर दिन इक् नया इलजाम, फिर भी प्यार करने से न है कभी चूकना।
लाख आयें रूकावटें, फिर भी टिकाये रखना पड़ता है तलवार की नोक पे बेसुधी में।
रुंध जाता है गला पुकारते पुकारते, फिर भी दिल ही दिल में करना पड़ता है प्रयास।
दशा हो चाहे कुछ भी जीवन की, खोने को रहना पड़ता है कुछ भी कभी भी।
हाल बड़ा अजीबों – गरीब होता है प्यार में, पास में कुछ न रहके सब कुछ होता है दिल में।


- डॉ.संतोष सिंह