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Hymn No. 1999 | Date: 27-Sep-2000
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इश्क का नया नया रोग है, मत तू मुझे बीच में टोक।
इश्क का नया नया रोग है, मत तू मुझे बीच में टोक।
भोगों का मैं था अब तक दास, अब तू कर ले मुझमें वास।
माना मान मेरा अभी घूला नहीं है, पर दिल को तो न तू रूला।
जिंदा हूँ अब तक तेरे नाम से, कब आऊँगा काम चरणों में तेरे।
सच्ची नहीं मेरी भक्ति, तो कब काम कर जायेगी तेरी शक्ति।
सहजता से ढाल दे, सरलता से बना रहूँ प्रियतम् चरणों में तेरे।
स्वाद तो लग गया प्यार का, फिर भी चूकता ना हूँ चटकारे लेने से।
टोकना न तू मुझे, हो जाये कुछ तेरे प्यार में रंगे रहने देना।
सतत का जामा पहनाके निरंतरता बनाये रखना तू मेरे जीवन में।
अथक हो जो भी तेरे वास्ते, भले कट जाये मेरा जीवन बीच रास्ते।


- डॉ.संतोष सिंह