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Hymn No. 1991 | Date: 21-Sep-2000
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तू कितना भी चाह ले अब ना छुड़ा सकेगा बहियाँ हाथों से मेरे।
तू कितना भी चाह ले अब ना छुड़ा सकेगा बहियाँ हाथों से मेरे।
तू कितना भी चाह ले अब मिटा ना सकेगा मेरे दिल से प्यार को तेरे।
बदल ले रूप लाख चाहे तु, मिटेगी ना पहचान मन पे से मेरे।
कितना भी हो जा तू दूर मुझसे, हर पल आयेंगी याद तेरी किसी ना किसी रूप में।
गुरेज करेंगा तू कितना भी मुझसे, नौंबत आयेगी कुछ पर तू रहेगा मेरा सब कुछ।
दाग होगा दामन पे लाख मेरे, पर तेरे प्यार को न लगने देंगे दाग।
बहुत रह लिया तेरे बगैर, अब ना छूटने दूँगा तेरा साथ इक पल को भी।
माना तू है गल्तियों से परें, गल्ती ना कि होती तो क्यों होता इंसा बना।
जो भी हो अब खो जाऊँगा यादों में तेरी, तुझको दिल से ना खोने दूँगा।


- डॉ.संतोष सिंह