VIEW HYMN

Hymn No. 1989 | Date: 19-Sep-2000
Text Size
कितना भी उठा मेरे प्यार पे तू सवाल, हंसके कहूंगा करता हूँ तुझसे प्यार।
कितना भी उठा मेरे प्यार पे तू सवाल, हंसके कहूंगा करता हूँ तुझसे प्यार।
रखता होगा नहीं तेरे वास्ते कोई मायने, मेरी जिंदगी का हर लम्हाँ जुड़ा है तुझसे।
भरसक करता हूँ प्रयास आदिम सीमाओं को तोड़के तुझे चाहने के लिये।
निष्फल हो जाता हूँ टकराके माया से, चल पड़ता हूँ तेरी ओर हर बार की तरह।
कमी न है तेरी कृपा में, मारा हूँ कितने कालों से बैठी अनचाही इच्छाओं का।
पर इस बार दिल न है तैयार, हर प्रयास के बाद करूँ प्रयास जोश खरोश से।
पता नहीं क्यों अंतर में बैठा है विश्वास, बेदम होगा तन तेरे गोद में इस बार।
किसीके रोके रूकने वाला नहीं, सर से पाँव तक बन चुका है मतवाला तेरे प्यार का।
फर्क नहीं पड़ता कितना भी हो बैठा गर्क मेरा, डेरा डाल चुका हूँ प्यार का चारों और तेरे।
मजमून तू भी भांप गया होगा लिफाफा देखके, मेरा हश्र तू भी जान गया होगा हाल देखके।


- डॉ.संतोष सिंह