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Hymn No. 1988 | Date: 16-Sep-2000
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माफ करना दुनियावी तौर – तरीको में हूँ सिफर, मैं तो हूँ यार के प्यार में चूर।
माफ करना दुनियावी तौर – तरीको में हूँ सिफर, मैं तो हूँ यार के प्यार में चूर।
बेसिर – पैर भरी करता हूँ बातें, हर चेहरे पे खोजता अपने प्यार को।
सुख – दुख से भरे दौर में मुख मोड़ता नहीं प्यार से हर पल जो तारी रहती है मस्ती।
मेरी किश्ती रूकते – बहते चली जा रही है, मंजूर है हर अंजाम पर हो यार के हाथों।
तरस मिटाने के वास्ते न पीता हूँ प्यार के प्याले को, तरस बढाने के वास्ते हूँ पीता।
डूबने तिरने की कतई परवाह न है, मसरूफ रहने दो हमको यार के प्यार में।
हो जाना चाहता हूँ भीतर बाहर से साराबोर, प्यार में रहते – रहते ढल जाऊँ प्यार बनके।
इक् इक् करके मिटता चला जाये प्यार में भेद, अभेद होके हो मिलन फिर न हो बिछुड़ना।


- डॉ.संतोष सिंह