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Hymn No. 1977 | Date: 11-Sep-2000
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इक् इक् कदम पे बढता जा रहा है जोर प्यार का।
इक् इक् कदम पे बढता जा रहा है जोर प्यार का।
दौर चलता रहे कोई भी, पर प्यार का दौर जारी रहे साथ साथ।
मारे हुये तेरे प्यार के, सिवाय इसके कुछ ना सीख पाये।
हो जाता तू भी खूश, पर ये भी करना न आये ठीक से।
नजदीक रह या दूर तारी रखना तेरे प्यार में हमकों तू जरूर।
रहना नहीं चाहता होश में हो चाहे कितना भी दोष प्रियतम हममे।
सनम लिया है जनम तेरे वास्ते, न ही कुछ और रंग में रंगने के वास्ते।
मेरा प्यार अगर है बचकानापन तेरे वास्ते, तो भी हट न सकता मैं पीछे।
खिंचा हुआ हूँ न जाने कब से ओर तेरे, तू ही बता तेरे बिना कैसे हूँ सह सकता।


- डॉ.संतोष सिंह