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Hymn No. 1976 | Date: 10-Sep-2000
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मेरे सनम लिया हूँ जनम तेरे वास्ते, न ही किसी और के वास्ते।
मेरे सनम लिया हूँ जनम तेरे वास्ते, न ही किसी और के वास्ते।
मुझे तो चलना है उस राह पे, जो ले जाये तेरे दूर की और।
कैसे रखू वास्ता किसी और से, जो ना सुनाये तेरी दास्ता।
तन में होगा चाहे लाख फासला, पर मेरे दिल से दूर न है तेरा दिल।
तेरी खिलखिलाहटे खींचती है ध्यान मेरा, जो दर्शाती है तेरी कृपा।
बहुत कुछ कहना चाहता हूँ तेरे पास आते ही जाता हूँ भूल सब कुछ।
क्या से क्या गुल खिल उठता है मन में जब जाता है तू मिल।
तेरा कहा मानने से जाता हूँ चूक बनाना है, तुझे मुझे अचूक।
कोई करें कैसा भी सलूक परवाह नहीं, झिंझोड़ देता है मुझे तेरा सलूक।
मेरा रसुरब किसी और के पास नहीं, हें भी तो तूझ तक मेरे प्रभु।


- डॉ.संतोष सिंह