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Hymn No. 1972 | Date: 09-Sep-2000
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बसाने का मन करता है तुझे दिल में।
बसाने का मन करता है तुझे दिल में।
बुलाने का मन करता है तुझे ख्वाबों में।
मिट जाने का मन करता है तेरे प्यार में।
बावरा बन जाने का मन करता है तेरे पीछे।
बदनाम हो जाना चाहता हूँ यार तेरे प्यार में।
परवाना बनके फनाह हो जाना चाहता हूँ यार तुझपे।
शायरी करना चाहता हूँ यार तेरे प्यार में।
सुध बुध खो देना चाहता हूँ यार तेरे प्यार में।
आभास ना हो जीने का रहूँ मसरूफ तेरे प्यार में।
कुछ भी हो जाये विसरू ना पाऊँ तेरे प्यार को।


- डॉ.संतोष सिंह