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Hymn No. 1963 | Date: 05-Sep-2000
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मैं संवारू तुझको, तू संवारे जग को, मैं करूँ ध्यान तेरा, तू रखे ध्यान मेरा।
मैं संवारू तुझको, तू संवारे जग को, मैं करूँ ध्यान तेरा, तू रखे ध्यान मेरा।
लेन – देन तो है जग में सबसे, रब लेने देने करने पे तूने भी तो नाता जोड़ा।
अरे हम तो है माया से भरे जग में डूबे, पर परम तुझे तारने से कौन रोके।
मत दे दुहाई तू हमारे कर्मों की, इक बार को तू भी आयेगा तो शायद जायेगा भूल।
तोड़ने को न कहता हूँ तेरे बनाये नियमों को, पर तड़पते दिल को थोड़ा प्यार दे दे।
मन भरेगा तो नहीं पर आ जायेगी निश्चिंतता दिल में, शायद रीझ जाये प्यार पे तू मेरे।
छोटी मूँह बड़ी बात करता हूँ जैसे ऊँट के मुँह में जीरा वैंसे पूजा मैं तेरी करता हूँ।
तेरे नाराज होने का कोई खौफ नहीं, बेलाग तुझसे प्यार का इजहार करना चाहता हूँ।
आहत मन को मिले सब कुछ मिलती नहीं राहत, पड़ जाये जो तेरी नजर दीवाना कर जाती है।
कैंसे बताऊँ कितना प्यार करता हूँ तुझसे, पर लागें न दिल तेरे बिना किसी में।


- डॉ.संतोष सिंह