VIEW HYMN

Hymn No. 1962 | Date: 02-Sep-2000
Text Size
यारों माफ करना रहा नहीं किसी काम का मैं, पीया जो जाम यार के हाथो प्यार का।
यारों माफ करना रहा नहीं किसी काम का मैं, पीया जो जाम यार के हाथो प्यार का।
मेरे नाम का दाम न है कोई, यार के प्यार में बेनाम जो हो चला मैं।
कहना हो जो कुछ तुमको कह दो बेहिचक मुझको रहता हूँ सरेआम बेखबरी में।
उसके दरबार का सबसे छोटा बंदा हूँ, जो बुनता है हर पल प्यार के ख्वाब।
सुनता नहीं मैं किसीकी सुनके, हर पल रहता है खोंया दिल प्यार की धुन में।
दोगे कोई इलजाम करुँगा कबूल बिना हिचक उसका प्यार समझके।
तुम भी ना पछताना जब हमको ना है कुछ परेशानी होता है सब कुछ मर्जी से उसके।
दर्दी हूँ में प्यार का यार को पाके, फिर भी प्यार के दर्द को ना खोना चाहूँ।
अब तो एक ही गुजारीश है प्यार का मारा हूँ प्यार की मार खातें फिरु सदा।
बन चूकी है मेरे जीवन के यें अदा, फिर भी तेरी मर्जी के अनुरूप ढलना चाहूँ सदा।


- डॉ.संतोष सिंह