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Hymn No. 1961 | Date: 02-Sep-2000
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होता है दिल में कुछ – कुछ, जब – जब मिलता है तू।
होता है दिल में कुछ – कुछ, जब – जब मिलता है तू।
लग जाता है अंबार खुशियों का, बुरे से बुरे हालात में आता है आनंद।
वैंसे तो न है कुछ बदलता, पर हो जाता है गुलजार मन का कोना – कोना।
आता है तब तुझपे प्यार बहुत, रोक – रोक नहीं पाता हूँ दिल को अपने।
एक ही क्षण में हो उठते है साकार सारे सपने, जब गाता हूँ तू गीत प्यार का।
बदल जाती है प्रभु को पाने की रीत, ढल जाता है गीत में वो।
रहता नहीं आपे में, खो जाता हूँ उसें अपलक निहारते हुये।
काटोगे तो न पाओगे खून, तन की सीमा तोड़ निकल पड़ता हूँ एक जान होने के वास्ते।
फूल मिले या काँटे राहें प्यार में, सब एक से है उसके इंतजार में।
वहाँ रहता नहीं कुछ अलग सा, बदल उठता है सब कुछ उसमें उसके मुताबिक।


- डॉ.संतोष सिंह