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Hymn No. 1960 | Date: 01-Sep-2000
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दिल की बात दिलवाले जाने, मस्ताने तो रहते है मस्त अपनी मस्ती में।
दिल की बात दिलवाले जाने, मस्ताने तो रहते है मस्त अपनी मस्ती में।
परवाने होना चाहे फनाह प्यार के वास्ते, दीवाने रहते है चूर दीवानगी में।
बहुत चाहा बिठाना अपने आपको किसी एक खाके मे, पर बंदे को ना कुछ रास आया।
जब जो भाए हो जाये हाल मेरा वो, जमाने ने बावरा कह – कहके मुझे पुकारा।
सोचा समझा न कर पाया कभी, अनचाही घटनाओं से जुड़ा रहा जीवन सारा।
सौंगात में जाने – अनजाने, अपनों और बेगानो ने, नये – नये नामो की सौंगात दे डाला।
मुस्कराया तब भी किसी का कहा पर न कर पाया, जैसे बंजर जमीं पे ना हो कुछ।
हाँ हैरान – परेशा हो उठा, जब यारों के यार ने छेड़ी धुन प्यार की, खड़ा मैं पगुराता रहा भैंस के नाई।
अचानक अपनी सारी कमियों पे ध्यान आया, तब हुआँ अहसास निकम्मेंपन का।
उबरना चाहता हूँ इस दलदल से, हर कोशिश पे और धसता हूँ, डूबने का ना है डर पर बट्टा ना लगे तेरे नाम पे।


- डॉ.संतोष सिंह