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Hymn No. 1959 | Date: 31-Aug-2000
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जा रे जा हरजाई, तूने ये कैसी प्यार की रीत बनायी।
जा रे जा हरजाई, तूने ये कैसी प्यार की रीत बनायी।
इक् तरफ अपनापन दूरी और बेरूखी न जाने क्या बात को लेके।
सुख – दुःख से ना कोई मतलब हमको, दुश्मनी है तो विरह से।
कब किस वक्त टूट पड़े बनके कहर, तरसा जाये रोम – रोम को मेरे।
कैंसे चैन आता हें तुझको, हर पल गुजरें बाट जोहते हुये तेरी।
इक् बार को खो जाये यादों में तेरी तो कोई बात नहीं समय गुजरने का।
तुझसे कमतर ना चाहियें कुछ, तेरे मुकाबले में ना ठहरता है कुछ।
मत विश्वास करना तू मेरा, पर दिल के भावों को लेना तू पहचान।
चाहे जैसा भी हूँ – हूँ तो तेरा, तेरे सिवाय कोई न हो सकता मेरा।
डेरा डालता हूँ दर पे तेरे, आया हूँ चलके जाऊँगा सवारा होके कान्हा पे।


- डॉ.संतोष सिंह