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Hymn No. 1958 | Date: 31-Aug-2000
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टुकूर टुकूर ताकता रहता हूँ तेरी और, न जाने कब क्या बरसा दे।
टुकूर टुकूर ताकता रहता हूँ तेरी और, न जाने कब क्या बरसा दे।
तेरे कहने का रहता नहीं भान, तुझे देखते ही खो देता हूँ अपनी भान।
मान या न मान तेरे वास्ते परवाह ना है मुझको अपने अपमान की।
प्यार तूने किया है कईयों से, पर नफरत करना तू सिर्फ एक मुझसे।
तेरी नफरत को करुँगा प्यार शिद्दत से, तेरा दिया ठुकराऊँगा न कभी।
होना पड़ेगा हैरान – परेशान, पर ना लगने ना दूँगा दिल पे ठेस कभी।
सहते हुये ना सहना होगा, ये तो प्यार का कोई अनोखा तरीका होगा।
गुजरा हुआँ जीवन दागदार है तो क्या से, दाग लगने ना दूँगा नाम पे तेरे।
जो भी हो मेरी औंकात उससे ज्यादा तूने दिया है मुझे बहुत कुछ।
गुजारिश इतनी है मेरा दिल से प्यार न होने देना कम चाहे हो जाये कुछ।


- डॉ.संतोष सिंह