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Hymn No. 1957 | Date: 30-Aug-2000
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मेरे जीवन की नैय्या का है तू खैवय्या, जो आये वो कर तू।
मेरे जीवन की नैय्या का है तू खैवय्या, जो आये वो कर तू।
निशंक है मेरा मन, दिल में उमड़ा – घुमड़ा प्यार के सिवाय ना कुछ।
सिलसिला शुरू हुआ है दिवानगी भरा कब क्या कर जाये तू।
मेरी सारी बानगी मिटके बदलते जा रही है प्यार में तेरे वास्ते।
चैंन नहीं है दिल को, रैन बरसे नयनों से झर्रझरै तेरे वास्ते।
माना कि अलग हूँ मैं तुझसे, फिर भी वश में ना रहा मैं मेरे।
बसा जो तू यादों में दिल को फेर गया प्यार भरा तेरा जादू।
अनायास तो नहीं पर मेरी मंजिल तय भी तेरे पास पहुँचने का।
गत जो भी बने परवाह नहीं, दुर्गत है तेरे पास रहके दूर रहना।
कहूँ क्या तुझसे जब तू जाने दिल की बात, कर जो आयें तेरी मर्जी में।


- डॉ.संतोष सिंह