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Hymn No. 1956 | Date: 30-Aug-2000
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दिल की बात दिल में न रहने दूँगा, कहे बिना मानूँगा नहीं तुझसे।
दिल की बात दिल में न रहने दूँगा, कहे बिना मानूँगा नहीं तुझसे।
करना तू अपने अंदाज में कुछ भी, पर सून लेना तू मेरी भी।
हर धड़कन – धड़के एक ख्याल से, यें सब तेरे नाम का है कमाल।
जायज – नाजायज की ना है कुछ पड़ी, तेरे नजरों से नजर जो लड़ी।
डरता नहीं अब किसी और से, जब से घर बना चूका है तू दिल में।
अपना तो हाल हो गया है दीवानो सा, कितना भी कर ले तू बेगानापन।
ठीक है ठीक नहीं भी, मेरी कमीयों के चलते तू दूर हुआ है मुझसे।
तेरा हर आरोप है सही तो मेरा प्यार भी न है इतना गलत।
मुड़ा होगा किसी भी राह पे, मुख ना मोड़ा कभी तेरे प्यार से।
बिघा है रोम – रोम तेरे प्यार में, फरक नहीं करे खड़ा तू कितना भी सवाल।


- डॉ.संतोष सिंह