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Hymn No. 1953 | Date: 24-Aug-2000
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हे प्रभु संसार में तेरी तुलना ना है किसीसे, अगर है तो वो है तेरी कृपा के कमल से।
हे प्रभु संसार में तेरी तुलना ना है किसीसे, अगर है तो वो है तेरी कृपा के कमल से।
खिलखिलाता है तू खुद भी औरो के संग रहके, संसार रूपी कीचड़ में कमल के समान।
मैं भक्त न हूँ तेरा खरा, पर ह़दय तो है तेरा कमल के समान ढालना कमलावत हमको भी तू।
तेरी नयनकमलों से टपके ममता की बूंदे, सींचना हमारे जीवन को कमलवत् बन जाने के लिये।
तेरे मुखकमल पे विराजे अमोघ शांति, जीवन के आने वाले उद्वेगों में रखना तू समचित्त हमको।
तेरे ह़दयकमल में हे स्थान सारे जहाँ के वास्ते, दिखाना तू हमें सदा सद्चित राह।
तेरे नाभिकमल में से प्रकटा है सात ब्रम्हाण्ड जो पहचाने इस सत्य को पहुँचा तेरे धाम।
होता है तेरे मुलकमल से होता है आदि और अंत होता तेरे अनंत में, यें परिचायक है संयमता का।
तेरा कमल शोभा बढाये माथे की जिसकी ओर दाँड़ जान न पाये कोई
मैं तो हूँ दास तेरा सदियों पुराना, प्रियतम तू कर ले वास मुझमें कल के कमान ढालके।


- डॉ.संतोष सिंह