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Hymn No. 1954 | Date: 25-Aug-2000
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रहे चाहे कितनी भी दूरी तेरे मेरे बीच, पर रहने न देना दिल को दूर तुझसे।
रहे चाहे कितनी भी दूरी तेरे मेरे बीच, पर रहने न देना दिल को दूर तुझसे।
श्वास इक बार तो छूटता है तो छूट जाने देना, पर तेरे यादों का आना न बंद करना।
मन हर बार तेरे पास ना पहुँचे तो क्या, पर तू नीदों को चुराके आना ख्वाबो में मेरे।
मुख मुझसे तू मोड़ना कोई बात नहीं, तेरे ख्यालों से पल भर को मुक्त न होने देना।
पूजा तू अस्वीकार करना मेरी तो भी कोई बात नहीं, पर मेरे प्यार को ना ठुकरांना कभी।
करमों की सजा देना तू बिना हिचक, पर मेरे अंतर में है जो कसक तेरे वास्ते बढाते जाना।
तुझे आने के लिये मेरा मिटना हो जरूरी, तो देर ना करना मेरा होना हो चुका है गैरजरूरी।
सौंपने निकला था पर लगा दी फरियादों की झड़ी, प्रिय तू पिरो लेना तेरे प्यार की लड़ी में।
हर बात कह न सकता हूँ दिल की, छूट जायेगा कुछ ना कुछ बन जा तू मेरा सब कुछ।
गीतों में संजोया तेरे प्यार के अफसानों को, प्रेम से तू भर दे खूशी और दर्द के रंग इसमें।


- डॉ.संतोष सिंह