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Hymn No. 1950 | Date: 22-Aug-2000
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बड़ भागी बन गया पास आके तेरे, जो सुना था देखा तेरे करीब उनको।
बड़ भागी बन गया पास आके तेरे, जो सुना था देखा तेरे करीब उनको।
पवित्रता किसे कहते हें पाया समीप तेरे, सुर में सुर मिलाके राग छेड़ते देखा उनको।
प्रेम को साक्षात मूर्त स्वरुप में पाया तेरे दिल में जो हलचल हुयी वो भाव बनके उनके नजरों में आया।
ज्ञान कि कैसे करूं बरवान कहूँगा कुछ समझोगे और कुछ, पे तो अनुभूती की है बात।
भाव अटूट देखा उनमें सरेआम प्रभु को लूटतें पाया फिर भी प्रभु को मजा आया।
विश्वास की अद्म्य ताकत को देखा, हर परीक्षां पे खरे उतरते पाया।
धर्म को सुना था पर निभाते देखा दायित्वों के धर्म को दिल से, ज्याना सचचा मर्म धर्म का।
विश्वास नहीं होता प्रभु का गढा सुंदरता चुरा लें जाये प्रभु का दिल प्रभु जान न पाये।
मदत के लिये दौड़ते देखा कुछ ना होते हुये बहुत कुछ सबके लिये करते देखा कुछ न बूंद।
बहुत कुछ कहके अगर समझा न पाया तो करना माफ सब कुछ जानके लिखना न आया।
न किया कुछ भी पर चरितार्थ किया प्रभु की कहावत सब गधवा बैकृष्ढ ही जहइय तर बोझवा के ढोई


- डॉ.संतोष सिंह