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Hymn No. 1944 | Date: 20-Aug-2000
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इस खालिश तन की नहीं कोई कीमत, जब तक है तू दिल में तब तक तो है वो।
इस खालिश तन की नहीं कोई कीमत, जब तक है तू दिल में तब तक तो है वो।
तुझे भूलते ही हो जाते है मुझसे कई गुना ज्यादा बेशकीमती कोई पत्थर भी।
न जाने कितनी बार मिला धुल में, चलता रहेगा सिलसिला जब तक ना खिलेंगा फूल दिल में प्यार का।
हमेशा खिलाया है गुल कर्मों का, जब पड़ी मार कर्मों की तो भाग – भागके आया पास तेरे।
चाहतो ने नाँथके सारे जग में घुमायाँ, तेरे पास भी हाथ जोड़के चाहतों का रोना रोयाँ।
कई बार ना भुलाते भुलाते तुझको भूला, माया का बहाना बनाके मुँह छिपाते फिरा।
प्रभु तू क्या चीज है सब कुछ जानते हुये स्वीकारा इस महामतलबी को।
तेरे नरक में न होगा मुझ जैसा, मेरे जाते ही मचेगी त्राहि त्राहि नरम में कि इसका पाप हमेशा सम्भलने वाला नहीं।
मुझसे ज्यादा कोई स्वार्थी नहीं संसार में, तेरे होते उतारी आरती अपने स्वार्थों की।
तू देना जो भी कड़ी से कड़ी सजा, हाल देखके मेरा करेगा हर कोई तौबा पापों से।


- डॉ.संतोष सिंह